पशुपालन की इस विधि से किसानों की आमदनी होगी दोगुनी… Dr. Deep Narayan Singh

MEDICAL MIKE DESK: बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय पटना DEPT. OF LPM के एसोसिएट प्रो. Dr. Deep Narayan Singh ने गर्भित और शुष्क पशुओं के प्रबंधन पर बात करते हुए कहा कि गर्भित पशु का प्रबंधन काफी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है Good animals are not raise only purchased. गर्भित पशुओं का सही प्रबंधन कर के हम हम एक अच्छी बच्छीया या बछड़ा को प्राप्त कर सकते है । और आने वाले भविष्य में एक अच्छे फार्म का नीर्माण कर सकते है।

सबसे पहले किसी भी प्रकार के पशु जो गर्भित है उनके प्रबंधन के लिए अलग आवास की ब्यवस्था होनी चाहिए। अगर गर्भित पशु के लिए अलग आवास की ब्यबस्था नहीं करते है तो गर्भित पशु के बच्चे के को नुकशान होने की संभावना अधिक रहती है इस लिए गर्भित पशु के लिए अलग आवास की ब्यवस्था करें । 

दूसरा यदि कोइ पशु संक्रामक रोग से ग्रस्त है तो उस संक्रामक रोग से संक्रमित होने की संभावना भी कम होती है। गर्भित पशु के रहने के स्थान पर उतम प्रकाश की ब्यवस्था होनी चाहिए। वायू संचरण का समुचित ब्यवस्था हो, हाइजिन की ब्यवस्था हो और वहां किसी भी प्रकार से पानी जमा होने की ब्यवस्था ना हो ।

खाने की ब्यवस्था

पशु के खाने की ब्यवस्था उतम होनी चाहिए क्योंकि पशु जैसे हीं तीन महीने का गर्भित होता है तो उसके खाने में 500 ग्राम अधिक दाना देना चाहिए। जिससे की जो ग्रभस्त इंब्रियो है उसका समुचित पोषण हो सके समुचित विकास हो सके और गर्भपात जैसी समस्याओं से बचाया जा सके ।

इसी प्रकार जब पशु जब 3-6 महिने का गर्भित हो तब हमे एक से डेढ किलो दाना बढा देना चाहिए पशु के शरीर के मेंटेनेंस के लिए। वहीं जब यहीं गर्भित पशु 6-9 महिने के अंदर आता है तो इसे एक अलग प्रकार का राशन देते है जिसे की हम स्ट्रिमिंग अप कहते है । जिसमें पशु को 4 से 4.5 किलो तक दाना खिलाना होता है।

गर्भित पशु के बच्चा देने के एक से 1.5 महिने पहले स्ट्रिमिंग अप करना चाहिए इस स्ट्रिमिंग अप में पशु को अतिरिक्त दाना देते है। जिससे की गर्भस्त पशु का और गर्भस्त पशु के पेट में पल रहे बच्चे का समुचित बिकाश हो सके। साथ हीं अयन के बिकाश के लिए जो आवश्यक उर्जा की जरुरत होगी उसकी पुर्ती हो सके। और आने वाले पशु का जो अगला बयान होगा उसमें पशु का जो दूध उत्पादन होगा वो उतम बना रहेगा।

इस प्रकार पशुपालक भाइयों को पशु के पोषण पर भी ध्यान देना होगा और स्वास्थय पर भी ध्यान देना होगा। साथ हीं जो पशु शुष्क अवस्था में है उनके पोषण का भी ध्यान देना आवश्यक है क्योकि हो सकता है कि ये पशु गर्भित भी हो और खाली भी हो। हो सकता है पोषम की कमी से पशु गर्भित नहीं हो रहा हो इस लिए गर्भित या शुस्क पशु के स्वास्थय एवं पोषण दोनों पर ध्यान देना चाहिए।

NOTE – इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

सन्नी प्रियदर्शी की रिपोर्ट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *