MEDICAL MIKE DESK: बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय पटना DEPT. OF LPM के एसोसिएट प्रो. Dr. Deep Narayan Singh ने पशुओं में होने वाले Degnala रोग की गींभीरता पर बात करते हुए बताया कि Degnala रोग से पिड़ित पशुओं में पुंछ गलने की समस्या उत्पन होती है जिसे गांव घर में आम बोलचाल की भाषा में पूंछगलन रोग कहते है ।
सिलिका खनिज तत्व की मात्रा रक्त में अधिक होने के कारण यह Degnala रोग होती है । जब पशुपालक अपने पशुओं को ज्यादा मात्रा में पुआल खिलाते है तब पुआल में बिद्धमान सिलिका खनिज तत्व के अधिक मात्रा होने के कारण पुंछ गलन रोग का प्रसार पशुओं में होता है ।
इस रोग से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले जानवर गाय और भैस है । इस बिमारी के बारे में गांव के लोगों को पता नही रहता है की आखिर ये बीमारी किस कारण से हुइ है । इसका कारण यह है की जिस सीजन में जिस घास की उपलब्धता होती है उस घास को लोग अत्यधिक मात्रा में खिलाते है भुसा है तो भुसा पुआल है तो पुआल।
जबकि पहले हीं हम बता चुके है की पुआल में सिलिका की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण Degnala रोग होता है । फिर भी गांव के लोग इस बिमारी के विषय में बिना जाने उपचार के लिए सरसो के तेल को गर्म कर के पशु के पूंछ को उसमें डाल देते है जिससे पशु का पूंछ खराब हो जाता है । जिसका नुकसान पशुपालक को बिक्रय के समय उठाना पड़ता है जिसमें आर्थिक क्षति शामिल है ।
पुआल खिलाने से जो दूसरा गंभीर रोग है वो है पशुओं के गर्भास्य का बाहर निकल जाना । जिन पशुओं को ज्यादा मात्रा में पुआल खिलाया जाता है उन पशुओं में गर्भास्य निकलने की समस्या ज्यादा होती है।
उपरोक्त सभी बीमारीयों से बचाव के उपाय
उपरोक्त सभी बीमारीयों से बचाव के लिए अपने पशुओं को कम से कम पुआल खिलाये और विशेष रुप से शंकर नस्ल की जो गाय है उनको पुआल बिल्कूल भी ना खिलाए क्योंकि इस नस्ल की गाय में पुआल खिलाने से पूंछ गलन की समस्या का प्रसार काफी तेजी से होता है । गर्भस्त पशु को बिल्कुल भी ना खिलाए क्योंकि इनके गर्भास्य निकलने की खतरा अत्यधिक होती है ।
NOTE – इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
सन्नी प्रियदर्शी की रिपोर्ट