Medical Mike Desk: परजीवी विभाग (BASU) Dr. Shyma K.P.ने बाह्य परजीवी के नियंत्रिण और पशुओं के बचाव पर बात करते हुए कहा कि बाह्य परजीवी ऐसे परजीवी होते है जो पशुओं के बाहर के त्वचा में रहते है। जैसे टिक्स, चमोकन, तरह- तरह के मखीयां, पिसु होते है जो पशुओं को काफी परेशान करते है ये सारे परजीवी पशुओँ के शरीर पर बैठ कर उनके खुन चुसते है और पशुओं को कमजोर कर देते है । जिसका प्रभाव पशुओं के सरीर पर तो पड़ता हीं है, साथ हीं साथ किसान भाइयों को भी आर्थिक क्षती उठानी पड़ती है ।
बाह्य पर्जीवी से फैलने वाली बिमारीयां
– Bacterial Diseases
– Viral Diseases
– Protozoan Diseases
– theileriosis Diseases
ये सारे बींमारी केवल गायों भैसो एवं कुत्ता में हीं नही फैलती है बल्की इस बीमारी से प्रभावित अन्य भी कई जानवर में होते है । जानवरों के अलावें बाह्य परजिवी का फैलाव इंसानों में भी होता है।
बेसक नये जमाने में आधुनिक शोध एवं खोज के कारण बाह्य पर्जीवी पर नियंत्रण पाने के क्रम में आगे बढा गया है लेकिन अभी भी बाह्य पर्जीवीयों पर नियंत्रण पाना एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि दिन प्रतिदिन मच्छर, मखियों की संख्या बढती जा रही है जिससे पशुओं को बचाना किसानों के लिए चुनौती पुर्ण होते जा रहा है ।
बाह्य पर्जीवीयों पर नियंत्रण के उपाय
चमोकन जो होते है वो पशुओं के खुन पिते है और खुन पिने के बाद ये जमीन पर गीर जाते है । यदि जमीन पलास्टर है तब तो ये जमिन के अंदर नही छुप पाते है लेकिन जमीन बना हुआ नही रहते है तो ये जमीन के अंदर छुप जाते है और अंडे देने लगते है जिससे इनकी संख्या में बढोतरी होती है जो बाद में बाद में निकल कर ये पशुओं का फिर से खुन चुसते है ।
टिक्स, चमोकन पिसु के लिए तो दवा उपलब्ध है और इस पर नियंत्रण पाना आसान है लेकिन मच्छर और मखियों पर नियंत्रण पाना अभी भी बहुत मुश्किल काम है क्योकि इसके लिए कोई दवा ऐसा नही बना है जिससे की इसको एक दम से भगाया जा सके । इसमें किसानो द्वारा पशुओं का सही देख रेख कर के और कुछ दवाओं के द्वारा बचाव किया जा सकता है ।
Note – इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
सन्नी प्रियदर्शी की रिपोर्ट