World AIDS Day : कभी न करें ऐसी गलतियां, वरना आप पर भी हो सकता है HIV का अटैक

Medical Mike Desk : विश्व एड्स दिवस हर साल एक दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। एचआईवी संक्रमित लोगों के लिए सपोर्ट दिखाने और एड्स रोगियों को साहस देने के लिए हर साल विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। 1988 में विश्व एड्स दिवस को पहले अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य दिवस के रूप में स्थापित किया गया था। यह दिन एचआईवी टेस्ट, रोकथाम और देखभाल तक पहुंच को बाधित करने वाले अंतराल और असमानताओं को दूर करने के लिए लोगों को विश्व स्तर पर खुद को एक साथ जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के बारे में भी है।

हर साल संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध संगठन, सरकारें और नागरिक समाज एचआईवी से संबंधित कुछ समस्याओं पर केंद्रित अभियानों की वकालत करने के लिए एक साथ आते हैं। इसलिए इस दिन के महत्व और इस साल की थीम के बारे में जानना जरूरी है। साल 2020 तक इस बीमारी ने करीब 36.3 मिलियन लोगों की जान ली है और करीब 37.7 मिलियन लोग आज भी एचआईवी के साथ जी रहे हैं।

विश्व एड्स दिवस को पहली बार 1987 में मान्यता दी गई थी. इस दिन को मनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय और लोकल सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और व्यक्तियों के बीच एड्स और एचआईवी के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना है. इसे जिनेवा, स्विट्जरलैंड में विश्व स्वास्थ्य संगठन में दो सार्वजनिक सूचना अधिकारियों जेम्स डब्ल्यू बन्न और थॉमस नेट्टर द्वारा तैयार किया गया था.

एड्स एक क्रोनिक और जानलेवा बीमारी है जो एचआईवी यानी के कारण फैलती है। इससे बचना बेहद जरूरी है वरना आपको भी इसका अटैक हो सकता है। आइए जानते हैं कि ये बीमारी किन कारणों से फैलती है। अगर आप किसी संक्रमित पार्टनर के साथ बिना प्रोटेक्शन के वेजाइनल, एनल या ओरल फिजिकल रिलेशन बनाते हैं तो एचआईवी आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप एक ही पार्टनर से यौन संबंध स्थापित करें, अजनान लोगों से इस तरह का संबंध बनाना खतरनाक है।

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इफेक्टेड इंजेक्शन शेयर करना आपको एचआईवी और अन्य संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ा देता है। इसलिए आप कभी भी ऐसी सिरिंज या निडल को अपने शरीर में इंजेक्शन के लिए यूज न करें जिसका इस्तेमाल दूसरे शख्स के लिए हुआ हो। कई बार इंफेक्टेड ब्लड ट्रास्फ्यूजन करे जरिए एड्स एक शख्स से दूसरे शख्स के शरीर में फैलता है। इसलिए ब्लड डोनेशन और खून चढ़ाने से पहले उसकी जांच जरूर करनी चाहिए कि कहीं ये रक्त एचआईवी संक्रमित तो नहीं है। प्रेग्नेंसी या डिलिवरी के दौरान या स्तनपान के जरिए संक्रमित माताएं अपने बच्चों को वायरस दे सकती हैं। जो माताएं एचआईवी पॉजिटिव हैं और गर्भावस्था के दौरान संक्रमण का इलाज करवाती हैं, वे अपने बच्चे के लिए जोखिम को काफी कम कर सकती हैं।

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