दूध की गुणवता को प्रभावित करने वाले काऱक-Dr. Sanjeev Kumar

MEDICAL MIKE DESK: संजय गांधी डेयरी संस्थान पटना के Dairy Technology dept.  के विभागाध्यक्ष Dr. Sanjeev Kumar ने दूध की गुणवता को प्रभावित करने वाले काऱक विषय पर बात करते हुए कहा कि दूध बहुत ही जल्द खराब होने वाला पदार्थ है शुरु में ही जिस फार्म से दूद का उत्पादन हुआ है और किस प्रकार से दूध का क्लेशन हुआ है इस पर दूध की गुणवता आधारित होती है ।

दूध की गुणवता ब्रीड के आधार पर

गाय-

जैसे मान लिजिए हमारे देश में शाहिवाल, गीर, उन्नत नस्ल की गाय है इस नस्ल की गाय में फैट, प्रोटीन की जो मात्रा है वो विदेशी नस्ल की गायों से भिन्न है । जो क्रोस ब्रीड का गाय है जो हमारा देशी नस्ल है और जो स्वदेशी नस्ल की उन्नत नस्ल है उससे जो क्रोस कर के जो गाय तैयार हुआ वो क्रोस ब्रीड है। तो क्रोस ब्रीड का जो दूध है वो मिक्स है ठीक है क्रोस ब्रीड से जो गाय तैयार होगा उसका दूद तो बढ जायेगा लेकिन जो दूध की गुणवता है हमारी उन्नत नस्ल की देसी गाय की होती है वैसी गुणवता नही होगा।

भैस-

जैसे मानलिजिए भदावरी भैस है और मुर्राह भैस है लेकिन भदावरी का फैट 16% , 17%  18%  तक गया है। तो इसके composition में अंतर आयेगा लेकिन उसके जो दूध में जो solid  है वो बहुत ज्यादा है।

पशु के आहार (Feed) पर दूध की गुणवता

मान लिजिए बरसात का मौशम है और खाने का कोइ सामान है चारा है दाना है यदी उसमें फंग्स लग जाये और हमारे पशु उसे खा ले तो एक तो पशु बिमार हो जायेंगे उन्हे FMD और कई प्रकार के बिमारी हो जायेंगे । जिससे की पशु के दूध की गुड़वता भी प्रभावित होगा  

यदी हम फसल में प्रेस्टीसाइज का प्रयोग के साथ रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करते है तो उसका असर पेड़ पौधे और फसल पर पड़ता है । फसल और पेड़, पौधे,  ज्वार, मक्का, बाजरा, गेहू से पशु का दाना बनता है इन राशायनिक उर्वरक के प्रयोग से पौधे पर असर तो पड़ता ही है। साथ ही इन पेड़ पौधो से पशु का चारा बनता है यदि पशु इनसे बने चारो और दानो को खाते है तो एक तो पशु बिमार होंगे।  और साथ हीं साथ पशु के दूध की गुणवता पर भी असर पड़ेगा। इसलिए जितना ज्यादा अछा आपका फिड रहेगा आपके पशु की दूध की गुणवता उतनी ही अच्छी रहेगी।  

संक्रामक रोगो से बचाव के लिए चलाए जाने वाले दवाओ का दूध के गुणवता पर असर

यदि किसी पशु को संक्रामक रोग है FMD है यदि इसके लिए पशु को कोइ दवा चलाया जा रहा है कोइ एंटिबायोटिक दिया जा रहा है तो इसका साईकिल पुरा नही होने पर इसका कुछ असर पशु के दूध पर होता है । यदि आप किसी पशु को एंटिबायोटिक दिये हुए है और उसके दूध को आप ले रहे है तो उसमें भी एंटिबायोटिक का कुछ अंश आ जायेगा और आपके दूध की गुणवता प्रभावित हो जायेगी । और उससे बने पदार्थ जो होंगे वो इसके भी कुध गुण चले जायेंगे और ऐसे चीझो से बने पदार्थ को बिदेशों में निर्यात नही कर पायेंगे । क्योकि जो विदेशो मे प्रोडक्ट भेजना है तो उसके गुणता और विदेशी गुणवता के मानको को पुरा कर के ही आपके पदार्थ को विदेशो में भेजा जा सकता है । अन्यथा आपका पदार्थ विदेशो में निर्यात नही हो सकता है ।

यदि हम दुध को तुरंत चील्ड नही करते है और उसका कोइ खाद्य पदार्थ बनाते है तो खाद्य पदार्थ उस दूध का तो बनेगा लेकिन वह उतना अच्छा नही बन पायेगा जितना की वह फ्रस दूध को बनेगा। ऐसे भी आप देखते होंगे यदि कोइ फ्रेस दूद का पनीर बनाये और कोइ स्टोर दूध का पनीर बनाये तो उसके टेस्ट मे कमी और गुणवता में भी कमी देखने को मिलेगी ।

A1 और A2 दूध में क्या अंतर होता है

हमारे देश में जो भी स्वदेशी नस्ल की गाय है जो उन्नत नस्ल की गाय है वो सब A2  कैटोगरी मे आती है। जो बिदेशी नस्ल की गाय है या बिदेशी नस्ल की साढ से जो क्रोस के जो नस्ल है वो सब दूध जो है वो A1 कैटोगरी में आता है।

वैज्ञानिको ने अभी पुरी तरह पुस्टि नही की है लेकिन ऐसे माना जाता है की A2 जो मिल्क है उसमे हमारे जो भी स्वदेशी गाय है जैसे आप समझीए भैस का दूध और बकरी का दूद है ये सब A2 टाइप दूध है।

विदेशी गाय में जो अमीनो एसिड का जो सिक्वेंस है वो मुटेट कर गया जिसके चलते कहते है न की वो डाइजेस्ट नही कर पाया। और हमारे वाले गाय मे ये समस्या नही है। जिसके कारण हमारे गाय को विदेशो में आयात किया जा रहा है। जैसे कनाडा में हमारे देशी नस्ल के गायो को आयात कर के हमारे गायो से ब्रिड तैयार कर रहें है ।

A2 Type के दूध के सेवन से बच्चों में हाइपरटेंशन की समस्या या फिर डायबिटिज की समस्या होने का कोइ खतरा नही रहता है। A2 Type का  दूध पिने से डाइजेसन की समस्या नही रहती है वही कोइ  A1 टाइप का दूध पिता है तो हाइपरटेंशन, डायबिटिज, डाईजेशन जैसी समस्या उत्पन्न होने की खतरा ज्यादा  बनी रहती है। लेकिन इसके अलावे A2 टाइप का दूध मिल पाना सबके लिए संभव नही है ।

हमारे देश मे अमूल A2 Type   दूध का कलेक्शन कर रहा है । हरीयाणा मिल्क कॉपरेटिव फाउंडेशन भी A2 Type milk का कलेक्शन कर रहा है । तो अब देश में इस प्रकार के दूध का मार्केटिंग हो रहा है जिसके लिए लोग दोगुना मात्रा में भी दूध का दाम देने को तैयार है । यदि स्वास्थ अछा है तो सब चीझ अच्छा है ।

इसलिए हम भी लोगो को सलाह देंगे की A2 TYPE दूध का कलेक्शन अलग से हो और उसका प्रोसेस अलग से हो तो ये बिहार के लिए बहुत ही अछी बात होगी। साथ ही बिहार के किसानो के आर्थिक लाभ के लिए भी अछा होगा।

दूध के गुणवता के आधार पर मूल्य निर्धारण

फैट और SNF के आधार पर दूध के मूल्य का निर्धारण होता है। SNF का मूल्य तो निधारित रहता है लेकिन फैट के आधार पर दूध का रेट उपर नीचे होता रता है जितना ज्यादा दूध मे फैट होगा उतना ज्यादा दूध का मूल्य बढेगा।

 Note – इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

सन्नी प्रियदर्शी की रिपोर्ट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *