आज भी महिलाओं पर क्यों नहीं होती ज्यादातर दवाओं की टेस्टिंग, जानिये

Medical Mike Desk : पुरुषों की डाइट महिलाओं की अपेक्षा थोड़ी ज्यादा होती है, जहां एक तरफ महिलाओं को एक दिन में 2000 कैलोरी की जरूरत होती है, वहीं पुरुषों को 2।5 हजार कैलोरी की जरूरत होती है। वजन, हाइट और उम्र के हिसाब से यह अलग-अलग हो सकता है। जैसा कि हम जानते हैं पुरुषों के शरीर की बनावट महिलाओं की बनावट से बिल्कुल अलग होती है, इसलिए दोनों की डाइट में डिफरेंस देखने को मिलता है लेकिन जब दवाओं की बात आती है तब महिलाओं को भी दवा की उतनी ही डोज जाती है जितनी पुरुषों को। आपको बता दें कि आमतौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा एक रोटी कम खाती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब दवाओं की बात आती है तब इनका डोज अलग-अलग क्यों नहीं होता हैं।

उदाहरण के लिए एकबार सोचते हैं कि जब महिला और पुरुष को दर्द होता है तब उन्हें ब्रुफेन दी जाती है। बता दें कि यह सिर्फ शरीर के दर्द को कम नहीं करता बल्कि ये हमारे मूड पर भी असर दिखाता है। इस दवा को लेने के बाद पुरुष थोड़े इमोशनल हो जाते हैं, वहीं महिलाओं पर ऐसा कोई खास असर देखने को नहीं मिलता है।

हाल ही में एक रिसर्च में हैरान करने वाली बात सामने आई है कि एक ही दवा कई लोगों पर अलग-अलग असर दिखाती है। बता दें कि जब दवाएं बननी शुरू हुई थी, तब इसका ट्रायल ज्यादातर पुरुषों पर किया जाता था और उसमें महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता था। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चे पर इसका कोई असर न पड़े। आज भी ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल में महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता है।

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साल 1978 में एक फैसला लिया गया कि जब भी दवा को मार्केट में लाई जाएगी, उससे पहले ठीक से दवा का क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा हालांकि इसमें भी महिलाओं को शामिल नहीं किया गया। महिलाओं को क्लीनिकल ट्रायल में शामिल न करने का पहला बड़ा रीजन था उनकी प्रेग्नेंसी। अगर महिलाएं प्रेग्नेंट हुई तो दवा का असर उनके बच्चे का पड़ेगा। इसकी दूसरी बड़ी वजह थी कि महिलाओं में अक्सर हार्मोनल इंबेलैंस देखने को मिलता है। इसकी वजह से रिएक्शन का खतरा बना रहता है। आज भी ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल में महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि महिलाओं को होने वाली बीमारियों पर रिसर्च भी काफी कम किए गए हैं। साल 2000 में यूरोप में महिलाओं को क्लिनिकल ट्रायल में शामिल करने की बात कही गई लेकिन अब भी इसमें सिर्फ 10 फीसदी ही महिलाएं शामिल हैं।

Note :- इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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