Medical Mike Desk : पटना के ज्ञान भवन स्थित सभागार में राज्य के उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। तेजस्वी ने फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करते हुए कहा कि समुदाय की भागेदारी से बिहार राज्य से फाइलेरिया रोग का उन्मूलन शीघ्र सुनिश्चित होगा। हम सब फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु प्रतिबद्धता के साथ मिलकर कार्य करें और विकसित बिहार का निर्माण करें।
इस अवसर पर उपस्थित अन्य अधिकारियों एवं सभागार में उपस्थित प्रतिभागियों ने भी फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन किया। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि समुदाय को फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में बिहार सरकार द्वारा आज से फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रह है। बिहार के आठ जिलों औरंगाबाद, अरवल, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सारण, शेखपुरा, शिवहर और वैशाली के चुनिन्दा ब्लाकों में तीन दवा यानी अल्बेंडाजोल, डीईसी, और आइवरमेक्टिन के साथ तथा 16 जिलों बांका, भागलपुर, चंपारण पूर्व, चंपारण पश्चिम, गया, गोपालगंज, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, कटिहार, खगड़िया, मुंगेर, सहरसा, सीतामढ़ी, सीवान और सुपौल के चुनिन्दा ब्लाकों में दो दवा यानी अल्बेंडाजोल और डीईसी के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाया जा रहा हैI
इस दौरान प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा समुदाय के सभी लाभार्थियों को घर घर जा कर निःशुल्क फाइलेरिया रोधी दवाइयां अपने सामने खिलाई जाएगी। ये दवायें पूरी तरह से सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक गांव के अंतिम छोर तक रहने वाली आबादी तक दवाओं की उपलब्धता एवं इसके लिए आवश्यक मानव संसाधन सुनिश्चित होना चाहिए। राज्य के स्वास्थ्य सचिव के सेंथिल कुमार ने कहा कि एमडीए के सफल किर्यन्वयन हेतु उपरोक्त 24 जिलों में लक्षित लाभार्थियों हेतु दवाओं की उपलब्धता, आवश्यक मानव संसाधन एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति की जा चुकी है। कार्यक्रम के पश्चात, प्रतिदिन इसके अंतर्गत होने वाली गतिविधियों की गहन समीक्षा की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की कमी रहने न पाए। कार्यक्रम में दवाओं का वितरण कदापि नहीं किया जाएगा और सभी लाभार्थियों को स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही दवाओं का सेवन करवाया जाएगा।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य सचिव सह कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील, लिम्फेडेमा व काइलुरिया से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
उन्होंने बताया कि आंकड़ों के अनुसार राज्य में अभी हाथीपांव के लगभग 95 हजार और हाइड्रोसील के लगभग 17 हजार मरीज हैं। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर से जिला स्तर तक समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है और अथक प्रयास किए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम में 100 प्रतिशत पात्र लाभार्थियों को फाइलेरिया दवाओं का सेवन सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि इस अभियान में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाए स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही खिलाई जाएंगी।
दवाईयों का सेवन खाली पेट नहीं करना है। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर से ब्लॉक स्तर तक कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सारी तैयारियां की जा चुकी हैं। किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु रेपिड रेस्पॉन्स टीम का भी गठन किया गया हैं।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के कंट्री लीड डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी ने सुझाव दिया कि सोशल मोबिलाइजेशन के माध्यम से लोगों को इस रोग से सुरक्षित रहने के बारे में और अधिक जागरूक किया जाए और राज्य स्तर से ब्लाक स्तर तक कार्यक्रम के दौरान आंकड़ों का अनुश्रवण किया जाए।