बच्चों मे चंचलता एक बीमारी भी हो सकती है क्या आपने कभी ऐसा कल्पना की है Dr. Sachidanand Singh

MEDICAL MIKE DESK:  शहर के जाने माने मनोरोग चिकित्सक Dr. Sachidanand Singh ने बच्चों की चंचलता पर बात करते हुए कहा कि आपने एक बहुत ही अच्छा सवाल किया है की क्या बच्चों में चंचलता कोई बीमारी है या फिर यह कोई बीमारी नही है। तो मै बताना चाहुंगा की बच्चे तो चंचल होते हीं है बचपन में हम सभी लोग चंचल थे और बच्चे सुस्त रहेंगे तो शायद हमें अच्छा भी नही लगेगा बच्चे जब घर में कुदते खेलते रहते है तभी अच्छा लगता है ।

लेकिन कभी-कभी कुछ परेशानियां ऐसी हो जाती हैं की बच्चे जरुरत से ज्यादा चंचल रहते हैं जैसे घर में है तो वो एक जगह बैठते नही हैं। वो हमेशा कुछ ना कुछ इधर से उधर करते रहेंगे। और वो चाहे क्लास रुम में हो घर में हो या प्लेय ग्राउंड में हो हर जगह उनकी चंचलता जरुरत से ज्यादा होती है।

पैरेंट टिचर या जो भी अन्य लोग जो देख रेख में है अक्सर उन लोगों को देख रेख करते है उनको बच्चे को बताना पड़ता है तुम ज्यादा उछल कुद नही करो नही तो चोट लग जायेगी। ये मत करो वो मत करो ऐसे मत भागो इस स्थिति में इन समस्याओं से अक्सर हमें जुझना पड़ता है।

तो ये जो समस्या है ये जरुरत से ज्यादा हो जाये तो ये एक बिमारी का रुप ले सकता है जिसे हम ADHD कहते हैं। ADHD का फुल फॉर्म Attention deficit hyperactivity disorder होता है जैसा की नाम में ही छुपा है Attention deficit मतलब Attention की कमी होती है। Attention का मतलब बच्चा ध्यान एकाग्र नही कर पाता कंसेनट्रट नही कर पाता है किसी चीझ पर पढाइ पर और हमेशा कुछ ना कुछ बात को लेकर बो बिचलित होते रहता है। तो ये Attention deficit है।

दूसरा है hyperactivity जिसमें की चंचलता काफी रहता है। इसमें एक तीसरा भी लक्षण होता है Impulsivity इसका मतलब है अचानक आवेश में आकर कुछ कर बैठना जैसे कुछ सामान उठाकर फेंक देना, या किसी पर हांथ उठा देना या अचानक कुद जाना, तो इस प्रकार के लक्षण ADHD के समस्या होने पर अक्सर देखा जाता है। अगर एक एज ग्रप के बाद भी बच्चो में ऐसे लक्षण दिखाई पड़ते है तो फिर इसे हम बीमारी मान सकते हैं ।

ADHD बीमारी के होने के अभी तक तो किसी खास का पता तो नही है जैसे की बाकी मांसिक बीमारीयों में होता है लेकिन मै आपको बता दू की ये बिमारी ज्यादातर बच्चों में हीं होता है। आमतौर पर बच्चों में इस बीमारी के लझण 3-5 वर्ष के बिच में दिख जाते हैं। और पांच साल में ये पता चल जाता है की हां ये बच्चे ठीक से पढ नही पाते हैं। और उसके बाद ये लगभग-लगभग 10-11 साल तक रहता है और उसके बाद ये धीरे-धीरे कर के ठीक हो जाता है। और कुछ लोगों में ये आगे भी रह सकता है जिसका कारण न्यूरो डेवलपमेंटल है ।

न्यूरोडेवलपमेंट का मतलब है बच्चे के बिकास से जिसमें बच्चे का बिकास हो रहा होता है उसी समय इस तरह की समस्याएं आ जाती हैं। बच्चे के माता पिता पैरेंट्स मे से किसी को भी यदि ADHD रहता है तो बच्चे में होने की संभावना काफी ज्यादा बढ जाती है और ये समस्या बच्चों में भी हो जाती है । 

इस बीमारी का इलाज किसी साइक्लॉजिस्ट से काउंसिलिंग के द्वार भी किया जा सकता है और किसी न्यूरोसाइकेट्रीस्ट से मिल कर दवा द्वारा किया जा सकता है ।

इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

सन्नी प्रियदर्शी की रिपोर्ट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *