Medical Mike Desk : आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल पटना रसशास्त्र विभाग की अस्सिस्टेंट प्रो. Dr. Neetu Singh ने आयुर्वेद में दवा बनाने और उसके कार्य करने की प्रक्रिया पर बात करते हुए कहा कि आयुर्वेद आयुषो वेदः अर्थात आयुर्वेद जीवन का विज्ञान है जो बताता है जीवन जीने की कला के बारे में ऐसा कोई विज्ञान नही है जिसमें स्वस्थ रहने की बात कही गई हो। आयुर्वेद का प्रथम उदेश्य है स्वस्थश्य स्वास्थ्य रक्षणं। अर्थात स्वस्थ्य ब्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना। और दूसरा उदेश्य है आतुरश्य विकार प्रशनम् अर्थात रोगी के रोग का उपचार करना। तो यह एक मात्र ऐसा विज्ञान है जो स्वस्थ रहने की बात करता है।
कोरोना काल के दौरान लोगो ने आयुर्वेद के महत्व को अच्छी तरह से जाना है और इसके बाद इसकी पोपुलरीटी काभी ज्यादा बढी है। इसलिए अब नेशनल लेवल के साथ-साथ इंटरनेशनल लेवल पर भी इसकी बात हो रही है। केंद्र की सरकार ने भी अपने स्तर से इसके बिकास के लिए काफी प्रयास किया है की आयुर्वेदे के जो प्रोपर रीकोग्नेशन है वो मिले ।
अब बात करते है इस सवाल पर की आयुर्वेद में दवाएं किस प्रकार बनती हैं। तो आयुर्वेद में मुख्यतः दो प्रकार की दवाएं बनती है पहला हर्बल जो की पलांट बेसड होती हैं। दूसरी हर्बो-मिनरल जो की मिनल बेस्ड होती हैं मेटल और मिनरल बेस्ड।
हर्बल दवाएं जो होती है वो पलांट बेस्ड होती हैं तो आपको जो ये वटी,टैबलेट्स जो मिलती है मार्केट में वो हैं। या स्वरस जो आजकल काफी पोपुलर है लोग खुद से भी ले रहे हैं जैसे की एलोवेरा जूस है, त्रिफला जूस है करैला जूस है, नीम जूस है ये बाजार में अभी उपलब्ध है तो ये हर्बल बेस्ड ड्रग्स है । उसके साथ-साथ मेडिकेटेड ऑयल है या फिर अशोकारिष्ट, अर्जुनारिस्ट ये सब बहुत पॉपुलर है।
जेनरल टॉपिक में भी जो मेडिकल प्रेकटिशनर के पास नही जाते हैं उनको इस सब दवाओं के बारे में मालुम है।
दूसरी कैटोगरी आती है हर्बो मिनरल ड्रग्स की जिसमें की मेटल से जैसे की आपने स्वर्ण भष्म चांदी भष्म, मोती भष्म, मकरध्वज, युक्त बहुत सारे दवाओं का आपलोगों ने एड देखा होगा। तो ये दो तरह की दवाएं हैं और जैसे की स्वर्ण भष्म हीं है तो इसमें हीटिंग प्रोसेस के माध्यम से एट द लेवल ऑफ नैनो मेडिसिन मतलब नौनो पार्टिकल्स को हीट कर के बनाया जाता है।
नैनो मेडिसिन भी आजकल काफी पोपुलर हो गया है नैनो फर्म में जो होती हैं दवाएं वो काफी इफेक्टिव होता है तो ये आयुर्वेद के जो नैनो मेडिसिन होता है वो आप समझ सकते हैं की 7th century AD में भी नैनो मेडिसिन का कंसेप्ट था।
आयुर्वेदिक भस्म की ये क्वालिटी होती है की ये कम मात्रा में भी इफेक्टिव होती है। ये नैनो की रेंज में होती हैं ये बहुत कम मात्रा में यानी की 125 मिली ग्राम की मात्रा में भी अगर इसको दिया जाए तो ये कार्य करती हैं। और ये हर्बल ड्रग्स की इफिकेसी को बढा देती है इस लिए जो बहुत सारे कम्बिनेशन में जो ड्रग्स होते हैं उसमें हर्बल के साथ-साथ एक भस्म मिलाई जाती है रससिंदुर हो या फिर मरक्युरियल प्रोड्क्ट ताकी उसकी एफिकेसी को भी ये बढा दे। तो इस प्रकार आयुर्वेद में दवाएं बनाने की ये दो तरह की बिधि होती हैं ।
यदि किसी रोग को दूर करना है तो हमारा ये उदेश्य नही होना चाहिए की रोग को दबा दिया जाए तो हम यदि किसी रोग को तत्काल दबा देते है तो कुछ समय बाद वो पुनः हो जायेगा । लेकिन अगर आप उसको समुल नष्ट करेंगे किसी भी दवा से तो कहा जाता है की आयुर्वेदिक दवायें जो होती हैं वो टिसु लेवल, सेल लेवल पर कार्य करती हैं वो आपके टिसु और सेल को स्ट्रेनदेन करती हैं, वो आपके इम्युनिटी को बढाती हैं और रोगों को दूर करती हैं। वो डायरेक्ट डिजिज पर कार्य नही करती है वो स्ट्रेनदेन करती है आपके बॉडी को ताकी वो रोगो से लड़ सके।
अगर आप आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग किसी चिकित्सक के देख रेख में लेते है तो वो ज्यादा अच्छा है। क्योकिं इसलिए बहुत सारे लोग कहते हैं की आयुर्वेदिक दवा तो काम नही कर रही है तो वो ओवर द काउंटर्स ड्रग्स ले लेते है अपने से लेकिन उनको ये नही पता होता है की क्वाथ बना है तो कितना पानी लेना है कितना उसमें से पानी को रिड्युस करना है, किस दवा को गर्म नही करना है कुछ में बोलाटाइल ऑयल के साथ –साथ और तरह के हर्बल होते है जिनको गर्म करने पर उड़ जाते हैं जिसके बाद उससे तैयारी की जा रही दवा सामग्री की गुणवता खत्म हो जाती है और वह काम नही करती है।
दवाएं प्रभावी ढंग से कार्य करे इसके लिए आयुर्वेद में औषद सेवन काल के बारे में बताया गया है की किस रोग मे कब दवा लेनी है। GIT के रोग है तो कब दवा लेनी हैं कोई दूसरी बीमारी है तो कब दवा लेनी है । इस प्रकार दवा लेने के समय को आयुर्वेद मे अलग-अलग समय में बांटा गया है। रही बात दवाओं के कार्य करने की तो यदि आप किसी परामर्शी चिकित्सक से मिलकर आयुर्वेद की दवाएं लेते है या बनाते है तो वे दवायें काफी बेहतर और प्रभावी ढंग से काम करेगी और किसी मरीज को आयुर्वेदिक दवा के प्रति कोई सिकायत भी नही रहेगी।
Note – इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
सन्नी प्रियदर्शी की रिपोर्ट