बरसात के मौसम में पशुओं में होने वाले साधारणतः रोग एवं उनके उपचार- Dr. Sudha kumari

Medical mike desk :पटना वेटनरी कौलेज की एसोसिएट प्रो. डॉक्टर सुधा कुमारी ने बताया कि एसे तो पशुओंमें कई रोग होते है लेकिन बरसात के मौसम में जो सामान्य रोग होते है वो है पशुओं में कान बहने की समस्या, सर्दी खासी की समस्या, बुखार की समस्या या फिर बरसात के मौसम में पशुओं के पैर फिसलने के कारण चोट लगने की समस्या आदि । यदि इन समस्याओं का इलाज समय रहते नही कराया जाता है तो ये समस्या गंभीर हो सकती है और पशु के जान भी जा सकती है ।

पशुओं मे होने वाले सामान्य रोग के लक्षण

पशुओं में जितने भी सामान्य रोग होते है उनमें हर रोग का अलग-अलग लक्षण होता है जैसे-

–  पशु में कान बहना

– पशु में सर्दी बुखार होना

– बरसात के मौसम में फिसलन के कारण चोट लगना

पशुओं में सामान्य रोग होने पर क्या करें

डॉक्टर सुधा कुमारी ने कहा कि पशुओं में किसी भी प्रकार के समस्या होने पर किसान भाईयों को उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए उसके तुरंत ईलाज के लिए अपने नजदिकी डॉक्टर से मिलकर अपने पशु का उपचार कराना चाहिए ।

बचाव के उपाय

किसान भाईयों आपलोगों को मै कुछ मह्तवपूर्ण बाते बताने जा रही हूँ जिसका ध्यान रखकर आपलोग अपने पशु को बिमारीयों से बचा तो लेंगे ही साथ ही उसे बिमार पड़ने से रोक भी पाएंगे । जैसे मान लिजिए किसी पशु का कान बह रहा है तो सबसे पहले उसको अच्छे से साफ करने के बाद उसमें जो डॉ. ने दवा दिया है उसको डालें ऐसा करने से दवा कान के अन्दर तक जाएगा और बिमारी को ठीक होने में समय भी कम लगेगा ।

इसके अलावे पशु को सर्दी हो गया हो और उसका नाक बह रहा हो तो भी उसके नाक को अच्छे से  पोछ कर साफ कर दे ताकी पशु किसी प्रकार के इंफेक्सन का सिकार ना हो । जब भी पशु को सर्दी जुकाम की समस्या होती है तो उनके इंफेक्टेड होने के चांसेज ज्यादा होते हैं। क्योंकि पशु अपना भोजन पानी में नाक डुबो कर करते है पानी के संपर्क में रहते है कइ बार पशुओं के आवास की साफ सफाई भी अच्छे से नही कि जाती  है और पशु को गंदे क्षेत्र में रहना पड़ता है जो जुकाम से प्रभावित पशुओं के लिए काफी नुकसानदायक होता है।

किसान भाईयों साथ हीं इस बात का भी ध्यान रखे की जिस पशु को सर्दी या जुकाम जैसी समस्या हो उनके पास ज्यादा धुवा ना करे जिससे की पशु को सांस लेने में कठिनाई हो, दम घुटने जैसी समस्या उत्पन्न हो । धुवा की मात्रा ज्यादा रहने पर यदि पशुपालक सही समय पर उसे कम नही करते हैं तो ऐसी स्थिति में पशु की जान भी जा सकती है । 

Note – इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

सन्नी प्रियदर्शी की रिपोर्ट

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