बरसात के मौसम में तेजी से बढ़ रहे डेंगू के मामले, डॉक्टर से जाने कैसे करें बचाव…Dr. Diwakar tejaswi

MEDICAL MIKE DESK: शहर के जाने माने फिजिशियन Dr. Diwakar tejaswi ने कहा कि डेंगू एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है। जिसके होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं। डेंगू बुखारको हड्डी तोड़ बुखार (Breakbone fever) भी कहते हैं। एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है। यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार के एक वायरस के सेरोटाइप– डीईएनवी-1 डीईएनवी-2 डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4 के कारण होता है।

हालांकि, ये वायरस दिन में अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं। जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार याडीएचएफDengue Haemorrhagic Feverहोने का खतरा बढ़ जाता है। इसमें भारी रक्तस्राव ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक ​​कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। डीएचएफ को डेंगू शॉक सिंड्रोम भी कहा जाता है। अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है। डेंगू का कोई विशिष्ट या खास उपचार उपलब्ध नहीं है। सिर्फ इसके लक्षणों को पहचानकर ही आप इस पर काबू पा सकते हैं।

डेंगू के बुखार के लक्षण

डेंगू हल्का या गंभीरदोनों हो सकता है। ऐसे में इसके लक्षण भी अलग-अलग नजर आते हैं। खासतौर से बच्चों और किशोरों में माइल्ड डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। संक्रमित होने के बाद डेंगू के हल्के लक्षण चार से सात दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों में तेज बुखारके अलावा और भी कई लक्षण हो सकते हैं जैसे- सिरदर्द, मांसपेशियों, हड्डियोंऔर जोड़ों में दर्द, उल्टी होना, जी मिचलाना, आंखों में दर्द होना, त्वचा पर लाल चकत्ते होना,ग्लैंड्स में सूजन होना आदि ।

हालांकि, गंभीर मामलों में रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ के होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में, रक्त वाहिकाएं (blood vessels) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रक्त में प्लेटलेट काउंट की कमी होने लगती है। ऐसी स्थिति में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं –

-लगातार उल्टी होना

-पेट दर्द

-मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव

– मूत्र, मल या उल्टी में खून आना

– त्वचा के नीचे रक्तस्राव होना, जो चोट जैसा नजर आ सकता है

– सांस लेने में कठिनाई

– थकान महसूस करना

चिड़चिड़ापन या बेचैनीडेंगू के जोखिम कारक

विभिन्न कारक होते हैं, जो डेंगू से संक्रमित होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। हम आपको नीचे कुछ ऐसे ही प्रमुख जोखिम कारकों के बारे में जानकारी दे रहें हैं:-

डेंगू पीड़ित क्षेत्र में रहना

यदि आप उन क्षेत्रों में रहते हैं, जहां एडीज मच्छरों का प्रकोप अधिक है, तो आपके डेंगू से संक्रमित होने की संभावना स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।

पहले कभी डेंगू संक्रमण होना

जिन लोगों को एक बार डेंगू हो जाता है, उनमें इस वायरल संक्रमण से प्रतिरक्षा नहीं हो पाती है। ऐसे में जब आपको दूसरी बार डेंगू होता है, तो अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना

जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनमें भी डेंगू होने की संभावन अधिक होती है। ऐसे में बुजुर्ग लोग डेंगू के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। साथ ही, मधुमेह (Diabetes), फेफड़ों के रोगऔर हृदय रोग से पीड़ित लोगों में भी डेंगू होने की आशंका बढ़ जाती है।

लो प्लेटलेट काउंट

डेंगू तब और अधिक गंभीर हो जाता है, जब पीड़ित व्यक्ति के रक्त में प्लेटलेट (थक्का बनाने वाली कोशिकाएं) काउंट काफी कम होने लगता है। ऐसे में यदि आपका प्लेटलेट काउंट का स्तर पहले से ही कम है, तो दूसरों की तुलना में डेंगू से जल्दी संक्रमित हो सकते हैं।

डेंगू संबंधित जटिलताएं

यदि डेंगू का संक्रमण गंभीर है, तो यह आपके फेफड़ों, लिवर और हृदय को प्रभावित कर सकता है। ब्लड प्रेशर काफी कम हो सकता है। अत्यधिक गंभारी मामलों में यह घातक भी हो सकता है। डेंगू का संक्रमण गंभीर होने पर शरीर में निम्न जटिलताएं देखी जा सकती हैं:

– पेट में गंभीर रूप से दर्द होना

– रक्तस्राव

– जी मिचलाना

– सीने में तरल पदार्थ का जमा होना

डेंगू से बचाव

डेंगू एक संचारी रोग है, जो मच्छरों द्वारा एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। ऐसे में वैक्सीन के उपलब्ध नहीं होने से डेंगू से बचने का सिर्फ एकमात्र तरीका है खुद को मच्छरों से बचाकर रखना। जितना हो सके आप मॉस्किटो रेपलेंट्स, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को शाम होने से पहले बदं कर दें। शरीर को पूरी तरह से कवर करने वाले कपड़े पहनें।

निम्न दिए गए उपायों को भी आप अपना सकते हैं

सुनिश्चित करें कि आसपास पानी इकट्ठा ना हो। कूलर का पानी बदलते रहें। पानी को ढंक कर रखें। इन जगहों पर ही मच्छर अंडे देते हैं।

यदि कोई खुला जल स्रोत है, जिसे आप हटा नहीं कर सकते हैं, तो उसे या तो ढंक दें या फिर उपयुक्त कीटनाशक अप्लाई करें।

डेंगू का इलाज

डेंगू के लिए कोई खास दवा या सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर बुखार, दर्द को नियंत्रित करने के लिए पेनकिलर जैसे पारासिटामोल दवा खाने के लिए दे सकता है। शरीर को हाइड्रेटेड रखकर डेंगू को कंट्रोल में रखना एक सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी पीना चाहिए। हालांकि, गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। अत्यधिक गंभीर मामले में मरीज को नसों में तरल पदार्थ यानी इंट्रावेनस फ्लूइड या इलेक्ट्रोलाइट सप्लीमेंट दी जाती है। कुछ मामलों में ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग और ब्लड ट्रांस्फ्यूजन के जरिए भी इलाज की जाती है। आप खुद से एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसी दवाओं का सेवन भूलकर भी ना करें, क्योंकि ये रक्तस्राव जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

Note – इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

सन्नी प्रियदर्शी की रिपोर्ट

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