जानें क्या होता है ‘कलर ब्लाइंडनेस’, आयुर्वेद में कितना संभव है इसका इलाज…

Medical Mike Desk : पटना के आयुर्वेदिक अस्पताल की जानी मानी डॉक्टर उमा पांडेय बताती हैं कि कलर ब्लाइंडनेस (वर्णान्धता) दृष्टि संबंधी एक विकार है, जिसमें व्यक्ति को कुछ निश्चित प्रकार के रंग एक समान दिखने लगते हैं और व उनमें अंतर पता नहीं कर पाता है। यह समस्या आमतौर पर उन लोगों को होती है, जिनकी आंख में जन्म से ही किसी निश्चित रंग के प्रति कोई सेंसिटिव पिगमेंट होता है। यह पिगमेंट आमतौर पर आंख की शंकु कोशिकाओं (Cones of the Eye) में पाया जाता है और ये कोशिकाएं आंख की पुतली के पिछले हिस्से में मौजूद होती हैं। आंख कई अलग-अलग हिस्सों से मिलकर बनी होती है और उनमें से सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक रेटिना होता है। रेटिना भी आंख की पुतली के पिछले हिस्से में मौजूद होता है और इस से वे सभी नसें भी जुड़ी होती हैं, जो दृष्टि के संकेत मस्तिष्क तक लेकर जाती हैं। कलर ब्लाइंडनेस से ग्रसित व्यक्ति को कुछ रंग वास्तविक रूप से नहीं दिखते हैं। उदाहरण के रूप में कुछ कलर ब्लाइंड लोगों को लाल रंग की जगह हल्का हरा या ग्रे दिखाई दे सकता है। कलर ब्लाइंडनेस के मामले महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में पाए जाते हैं।

कलर ब्लाइंडनेस के कारण

कलर ब्लाइंडनेस के ज्यादातर मामले अनुवांशिक होते हैं, जिसमें इस रोग का कारण बनने वाला जीन एक्स गुणसूत्र (X Chromosome) में पाया जाता है। जैसा कि महिलाओं में एक्स क्रोमोसोम दो होते हैं और पुरुषों में सिर्फ एक ही होता है, इसलिए कलर ब्लाइंडनेस होने का खतरा पुरुषों में अधिक पाया जाता है। साथ ही आंखों को प्रभावित करने वाली ऐसी कई अनुवांशिक समस्याएं भी हैं, जो कलर ब्लाइंडनेस का कारण बन सकती हैं। उदाहरण के रूप में मोतियाबिंद जैसी समस्याएं कलर ब्लाइंडनेस पैदा कर सकती हैं, हालांकि उसका इलाज होने के बाद यह समस्या भी ठीक हो जाती है। वहीं किसी दुर्घटना, किसी हानिकारक केमिकल के संपर्क में आना या फिर सर्जरी आदि के दौरान आंख में किसी प्रकार की क्षति होने के कारण भी कलर ब्लाइंडनेस हो सकता है।

कलर ब्लाइंडनेस के प्रकार

कलर ब्लाइंडनेस के प्रमुख रूप से तीन प्रकार के होते हैं

मोनोक्रोमेटिज्म

इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति सिर्फ एक ही प्रकार के रंग को समझ पाता है, जिसका मतलब है कि उसकी आंख में सिर्फ एक ही प्रकार का रंग मौजूद है। इस समस्या को एक्रोमेटोप्सिया भी कहा जाता है और इससे प्रभावित लोगों को अक्सर ग्रे रंग के कई अलग प्रकार दिखाई देते हैं।

डिक्रोमेटिज्म

कलर ब्लाइंडनेस के इस प्रकार के ग्रसित लोगों को सिर्फ दो ही रंग पहचान में आते हैं, जिसका मतलब है कि उनकी आंख में सिर्फ दो ही प्रकार की शंकु कोशिकाएं मौजूद हैं और तीसरी शंकु कोशिका मौजूद नहीं है।

एनोमेलस ट्रिकोमेटिज्म

कलर ब्लाइंडनेस के इस प्रकार में व्यक्ति की आंख में वैसे तो तीनों प्रकार की शंकुत कोशिकाएं होती हैं, लेकिन या तो वे किसी कारण से ठीक से काम नहीं कर पाती हैं या फिर उनकी संख्या सामान्य से कम होती है। कलर ब्लाइंडनेस के इस प्रकार के ग्रसित लोग अक्सर एक ही रंग की अलग-अलग शेड्स की पहचान नहीं कर पाते हैं।

कलर ब्लाइंडनेस के कारक

कुछ स्वास्थ्य समस्याएं व अन्य स्थितियां हैं, जो किसी व्यक्ति को कलर ब्लाइंडनेस होने का खतरा बढ़ा देती हैं। परिवार में पहले किसी को कलर ब्लाइंडनेस की समस्या होनामहिलाओं की तुलना में पुरुष को कलर ब्लाइंडनेस की समस्या अधिक रहती है। ,उम्र के साथ-साथ होने वाली आंखों की बीमारियां जैसे मोतियाबिंद और ग्लूकोमा भी कलर ब्लाइंडनेस का कारण बन सकती हैं।, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, डायबिटीज और अल्जाइमर रोगों के कारण कलर ब्लाइंडनेस होने का खतरा बढ़ सकता है।

कलर ब्लाइंडनेस पता लगाने के कुछ जरुरी टेस्ट

इशिहारा टेस्ट

कलर ब्लाइंडनेस का निदान करने के लिए इस टेस्ट का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। इसमें अलग-अलग रंग के बिंदुओं से कुछ संख्या व आकृति बनी होती हैं, जिनकी पहचान एक कलर ब्लाइंड बच्चा नहीं कर पाता है।

लैंटर्न टेस्ट

यह टेस्ट कलर ब्लाइंडनेस के मरीजों को निदान करने और आमतौर पर नौकरी के लिए इंटरव्यू के दौरान भी किया जा सकता है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि व्यक्ति सभी रंगों की पहचान कर पा रहा है या नहीं।

कलर ब्लाइंडनेस का इलाज

आमतौर पर कलर ब्लाइंडनेस का कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है, हालांकि कुछ उपचार विकल्प हैं जिसकी मदद से व्यक्ति को इस विकार के कारण हो रही परेशानियों को कम किया जा सकता है। कलर ब्लाइंड व्यक्तियों को दृष्टि संबंधी मदद करने के लिए कई अलग-अलग डिवाइस तैयार किए जा चुके हैं और इनमें से लाइट फिल्टरिंग लेंस एक है। इस लेंस को कुछ इस तरीके से डिजाइन किया गया है, जिसकी मदद से कलर ब्लाइंडनेस व्यक्ति भी सभी रंगों के देख पाते हैं।

यह भी देखें

यदि किसी अन्य बीमारी के कारण कलर ब्लाइंडनेस की समस्या हुई है, तो उस अंदरूनी रोग का इलाज करके भी इसे दूर किया जा सकता है। वहीं अगर किसी दवा के साइड इफेक्ट्स के रूप में कलर ब्लाइंडनेस हो रही है, तो उस दवा को बदलकर या उसकी खुराक में कुछ बदलाव करके भी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। हालांकि, इस बीमारी को पुर्णतः ठिक नही किया जा सकता है।

Note :- इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

सन्नी प्रियदर्शी की रिपोर्ट

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