बायोप्सी टेस्ट क्या है और कैसे किया जाता है ? क्या इस टेस्ट के बाद फैल जाता है कैंसर

Medical Mike Desk : ‘बायोप्सी टेस्ट’ इस टेस्ट का नाम सुनते कोई भी व्यक्ति एक पल के लिए डर जरूर जाता है। वैसे बायोप्सी टेस्ट कैंसर की जांच और कितना परसेंट कैंसर शरीर में फैल चुका है इसके लिए किया जाता है। बायोप्सी का यूज दिमाग, स्किन, हड्डियों, फेफड़े, दिल, लिवर और किडनी सहित कई ऑर्गन की जांच और कैंसर में आगे का इलाज और निदान के लिए किया जाता है।

बायोप्सी टेस्ट में क्या होता है?

बायोप्सी टेस्ट के अंतर्गत जिस सेल्स में कैंसर का शक होता है उसमें कुछ टिश्यूज को निकालकर लैब में खास जांच के लिए दी जाती है। यदि शरीर में कुछ खास तरह के लक्षण दिख रहे हैं तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर बायोप्सी जांच के लिए टिश्यूज को लैब में भेजते हैं।

कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी टेस्ट क्यों है जरूरी

कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी टेस्ट ही ज्यादा कारगर इसलिए माना जाता है क्योंकि यही वो टेस्ट हैं जो कैंसर के टिश्यूज और नॉन कैंसरस टिश्यूज में फर्क कर सकती है। बाकी दूसरे टेस्ट जैसे- इमेजिंग, सीटी स्कैन और एमआरआई भी बीमारी का पता लगा सकती है लेकिन कैंसर के लिए बायोप्सी को ही बेस्ट माना जाता है।

कैसे कि जाती है बायोप्सी टेस्ट

बायोप्सी टेस्ट तब कि जाती है जब कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का संदेह हो। वैसी स्थिति में बायोप्सी टेस्ट ही बेस्ट होता है। डॉक्टर इसलिए भी यह टेस्ट करते हैं ताकि कैंसर की स्थिति का पता लगाया जा सके और कीमोथेरेपी की प्रक्रिया शुरू की जा सके।

बायोप्सी कराने के बाद कैंसर शरीर में फैलने लगता है?

शरीर में लगातार होने वाले सूजन, दर्द का कारण कहीं कैंसर तो नहीं है इसकी पहचान के लिए डॉक्टर बायोप्सी की सलाह देते हैं। वहीं मरीज बायोप्सी के नाम से काफी डर जाते हैं। उन्हें लगता है कि कहीं इससे और कैंसर न फैल जाए। तो बता दें कि ऐसा कुछ नहीं होता यह बस मिथ है। कई लोगों को लगता है बायोप्सी से इंफेक्शन फैल जाएगा लेकिन यह सब बिल्कुल गलत बात है। ऐसा कुछ नहीं होता आजकल टेक्नोलॉजी इतना एडवांस है कि ऐसी छोटी सी सर्जरी या एक पतले नीडिल से टिश्यूज को निकालकर बायोप्सी के लिए भेज दिया जाता है।

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बायोप्सी से कैंसर के स्टेज का पता चलता है?

डॉक्टर बताते हैं कि बायोप्सी से कैंसर के स्टेज का पता तो नहीं चलता है। लेकिन आपको एक हद तक जानकारी मिल जाती है कि कैंसर कितना फैल चुका है। इससे आप उसे हिसाब से इसकी दवा चला सकते हैं। बायोप्सी थेरेपी से कैंसर के जीन और प्रोटीन को टारगेट करने वाले दवा शुरू की जा सकती है। साथ ही साथ बायोप्सी के जरिए आप यह पता लगा सकते हैं कि कैंसर का ट्यूमर कितना खतरनाक या बढ़ चुका है। इस पता बायोप्सी से आसानी से पता लगाया जा सकता है।

Note :- इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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