गायों में लंपी वायरस के कारण, लक्षण, प्रभाव ओर बचाव पर विस्तृत जानकारी दे रहे है Dr. Pankaj Kumar Basu

Medical Mike Desk : Micro Biology के Associate Professor डॉक्टर पंकज कुमार बासु गायों में लंपी वायरस के कारण, लक्षण, प्रभाव ओर बचाव पर विस्तृत जानकारी दी। डॉक्टर पंकज ने लंपी वायरस के होने के कारणों पर बात करते हुए बताया कि गायों में लंपी वायरस पशुपालकों के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है। यह वायरस गायों को संक्रमित कर उनके सांस लेने और पाचन प्रणाली में समस्याएं पैदा करती है। लंपी स्कीन वायरस एक त्वचा रोग है। जिसकी वजह से पशुओं की स्किन में गांठदार या ढेलेदार दाने बन जाते हैं। इसको कैपरी पॉक्स वायरस के तौर पर भी जाना जाता है। इसको एलएसडीवी कहते हैं। यह वायरस एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलता है यह बीमारी मच्छर और मखी आदि के काटने से जानवरों में फैलती है। इस वायरस के प्रकोप को गायों के बीमार होने, कमजोरी, अपक्षय और अन्य संक्रमण लक्षणों के माध्यम से पहचाना जा सकता है और समय रहते इस पर काबू पाया जा सकता है।

लंपी वायरस के प्रसारया फैलाव के कारण

लंपी वायरस एक संक्रमित रोग है जो एक पशु से दूसरे पशु को हो जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि इसका संक्रमण मुख्य रूप से मच्छरों, मक्खियों, तत्तैयो और जूं आदि से फैल सकता है। इसके अलावा पशुओं के सीधे संपर्क में आने से भी फ़ैल सकती है। खासकर साथ खाने/दूषित खाने और पानी के सेवन करने से भी ये बीमारी फ़ैल सकती है। Lumpy Virus एक बहुत ही तेजी से फैलने वाला वायरस है। वर्तमान में 15 से भी अधिक राज्यों में इस बीमारी के फैलने की पुष्टि हो चुकी है। इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए समय पर लक्षणों की पहचान कर उनके आधार पर इलाज शुरू कर देना ही एकमात्र तरीका है।

गायों में लंपी वायरस के लक्षण

यहां पर हम आपको लंपी वायरस के कुछ लक्षणों के बारे में बता रहे हैं ताकि आप भी जान सकें और उस गाय का जल्द से जल्द इलाज करवा सकें। जिसमे यह लक्षण दिखाई दे जैसे पशु को बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर गांठें पड़ना, दूध कम देना, भूख न लगाना और शरीर दिन प्रतिदिन खराब होते जानाइस वायरस के प्रमुख लक्षण है।

बुखार की समस्या

अगर कोई पशु इस लंपी वायरस के चपेट आ जाती हैं तो सबसे पहले उस गाय को बुखार होने लगेगा और वह गाय अपने सुस्त रहने लगेगी।

नाक से स्राव लार का टपकना

यदि कोई गाय इस वायरस की चपेट में आती हैं तो उसकी आंखों और नाक से स्राव होता है और उस गाय के मुंह से लार भी टपकने लगती हैं। जब किसी गाय को यह बीमारी हो जाती हैं तो उस गाय की दूध देने की क्षमता कम हो जाती हैं।

शरीर पर छाले पड़ना

जब इस वायरस की चपेट में कोई गाय आ जाती हैं तो उस गाय के शरीर पर छाले पड़ने लगते हैं और उन चालों की वजह से उस गाय को काफी तकलीफ होने लगती हैं।

खाने पिने में दिक्कत

इस वायरस के होने के कारण वह पशु अपना चारा भी नहीं खाती व पानी भी नहीं पीते हैं।

लंपी वायरस से बचाव के तरीके

किसान भाईयों बहुत से पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस वायरस से वचाव के लिए अभी तक कोई बहुत कारगर एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है। कुछ है भी तो इस रोग से वचाव के लिए एक मात्र तरीका है, इस रोग से प्रभवित पशुओं को कम से कम 28 दिनों के लिए आइसोलेट करना चाहिए। इस वायरस को कंट्रोल करने के लिए भारत में पशुओं को गोट पॉक्स वैक्सीन की डोज दी जा रही है। बता दें कि लंपी वायरस को रोकने के लिए सरकार ने लंपी-प्रोवैक आईएनडी नाम से एक नई स्वदेशी वैक्सीन लॉन्च की है। इस वायरस की रोकथाम के लिए कुछ सुझाव हम आपको दे रहे है प्यारे किसान भाइयों पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण दिखाइ पड़ने बचाव के लिए निचे लिखे बातों का पालन अवश्य करे।

लंपी रोग से प्रभावित पशुओं को दूसरे पशुओं से अलग रखें। मक्खी, मच्छर, जूं आदि से पशुओं को बचाकर रखे, क्योंकि यह बीमारी को फैलाती है। लंपी वायरस से प्रभावित पशुओं को फिटकरी के पानी से नहलाना चाहिए। रात के समय पशुओं के पास नीम के पत्तों को जलाकर धूवा करें। जहां प्रभावित पशु रहता हो उस पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें। लंपी वायरस की वजह से पशु की मृत्यु होने पर शव को खुला न छोड़ें।

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