Delhi AIIMS में स्वदेशी तकनीक से शुरू हुआ बच्चों की आंखों के कैंसर का इलाज, नि:शुल्क मिलेगी सुविधा

Medica Mike Desk : रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर से पांच साल से कम उम्र के बच्चे प्रभावित होते हैं। हालांकि ये बीमारी कम बच्चों को ही शिकार बनाती है। देश में हर साल इस कैंसर के 1500 के करीब मामले दर्ज किए जाते हैं। दिल्ली एम्स ने कैंसर मरीजों को बड़ी सौगात दी है। अब अस्पताल में स्वदेशी तकनीक से बच्चों की आंखों के कैंसर का ट्रीटमेंट शुरू हो गया है। इस इलाज के जरिए अब तक दो बच्चों को आंखों की रोशनी मिली है। अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, स्वदेशी प्लाक ब्रेकीथेरेपी तकनीक से बच्चों का इलाज किया जा रहा है। यह सुविधा निशुल्क दी जा रही है। एम्स ऐसा पहला हॉस्पिटल है जहां ये ट्रीटमेंट शुरू किया गया है।

एम्स के डॉक्टर के मुताबिक, रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर से पांच साल से कम उम्र के बच्चे प्रभावित होते हैं। हालांकि ये बीमारी कम बच्चों को ही शिकार बनाती है। देश में हर साल इस कैंसर के 1500 के करीब मामले दर्ज किए जाते हैं। ये डिजीज जेनेटिक कारणों से होती है। केस काम आने और लक्षणों की जानकारी न होने के कारण इस बीमारी की पहचान नहीं हो पाती है। इस कारण अधिकतर केस आखिरी स्टेज में सामने आते हैं। ऐसी स्थिति में कैंसर को अन्य हिस्सों मे फैलने से रोकने के लिए आंखों को निकाला जाता है, जिससे रोशनी चली जाती है। शुरुआत में ही अगर बीमारी की पहचान हो जाए तो इलाज हो जाता है। अब तक दो बच्चों का ट्रीटमेंट इसके जरिए किया गया है।

ये होते हैं लक्षण

आंखों की पुतली में सफेद चमक। आंखों का तिरछा होना। आंखों की रोशनी कम होना। आंखों लाल रहना। आंखों में दर्द होना। आंखों में कोई गांठ।

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क्या है प्लाक तकनीक

इस तकनीक में आंखों की सर्जरी की जाती है। जिसमें आंख में प्लाक को लगाया जाता है। रेडिएशन के जरिए आंखों के ट्यूमर को खत्म किया जाता है। जब मरीज की रेडिएशन थेरेपी पूरी हो जाती है और कैंसर ट्यूमर खत्म हो जाता है तो सर्जरी के माध्यम से प्लाक को फिर से निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से आंखों की रोशनी जाने से बच जाती है। अब तक एम्स में इस तकनीक से बच्चों का इलाज नहीं था, लेकिन अब इसको शुरू कर दिया गया है। इसके लिए भाभा अनुसंधान केंद्र ने स्वदेशी प्लॉक को तैयार किया था। ये एम्स को निशुल्क दिया गया है।

Note :- इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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