हर 10 में से एक इंसान चक्कर से परेशान, जब घूमती नजर आए दुनिया तो हो जाएं सावधान !

Medical Mike Desk : क्या कभी आपको अचानक से चक्कर जैसा महसूस हुआ है, क्या आपने कभी ऐसा फील किया है कि आपके आसपास की दुनिया घूम रही है और आप तुरंत ही जमीन पर गिर पड़ेंगे, अगर हां तो आप वर्टिगो बीमारी की चपेट में हैं। वर्टिगो एक तरह का बैलेंस डिसऑर्डर है। कान के अंदरूनी भाग में कुछ परेशानी होने की वजह से यह समस्या होती है। वर्टिगो होने पर बिना चेतावनी के अचानक से चक्कर आने लगता है। इस बीमारी में कहीं भी गिर जाने, फ्रैक्चर हो जाने का खतरा ज्यादा होता है।

वर्टिगो की बीमारी को हल्के में न लें

वर्टिगो की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। आज दुनियाभर में हर 10 में से एक इंसान इस समस्या से जूझ रहा है। रोजाना का काम, घर का सामान, ट्रैवलिंग, फैमिली-फ्रेंड्स से मिलना इस बीमारी की वजह से काफी मुश्किल हो जाते हैं। वर्टिगो बीमारी का इलाज का प्रॉसेस काफी लंबा है। इस बीमारी के हाई स्प्रेड के बावजूद इसको लेकर जागरूकता की कमी है। अगर किसी मरीज का एक बार डायग्नोसिस हो जाए तो उसकी समस्या को इलाज आसानी से किया जा सकता है।

वर्टिगो किसके लिए सबसे ज्यादा खतरनाक

वर्टिगो डिसऑर्डर किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन बुजुर्गों में इस बीमारी को खासतौर पर देखा गया है। करीब 30 प्रतिशत 60 साल से ज्यादा उम्र वाले इस बीमारी की चपेट में हैं। वहीं, 85 साल से ज्यादा 50 प्रतिशत लोग वर्टिगो की समस्या से परेशान हैं। इसका सही इलाज न होने पर समस्या बढ़ सकती है।

क्या महिलाओं को ज्यादा परेशान कर सकता है वर्टिगो

कई बार अचानक से कहीं गिरने से फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है। यह जानलेवा भी हो सकता है। वर्टिगो में गिरने का डर। चिंता और डिप्रेशन को ट्रिगर कर सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं दो से तीन गुना ज्यादा वर्टिगो से प्रभावित हो सकती हैं। इस बीमारी का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। डॉक्टर इसके पीछे हार्मोनल एक्टिविटी को जिम्मेदार मानते हैं। महिलाओं में होने वाले हार्मोनल उतार-चढ़ाव की वजह से यह हो सकता है। कुछ महिलाएं पीरियड्स से पहले वर्टिगो की समस्या फील करती हैं। यह माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है। शरीर में ब्लड सप्लाई कम होने से ब्लड प्रेशर नीचे आ जाता है और वर्टिगो का अटैक हो सकता है।

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वर्टिगो के लक्षण

अचानक चक्कर आना। एक जगह ध्यान केंद्रित होने में समस्या। एक कान से कम सुनना। कान में घंटी जैसी आवाज सुनाई देना। पसीना आना। उल्टी और मितली की समस्या।

Note :- इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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