Medical Mike Desk : गर्मियों के मौसम की तपन अस्थमा की समस्या से जूझ रहे लोगों की परेशानी को और ज्यादा बढ़ा सकती है। गर्मियों के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है, जिससे अस्थमा के मरीजों स्थिती बिगड़ सकती है। इसलिए जरूरी है कि अस्थमा के मरीजों को घर के अंदर रहना चाहिए और बेहतर हवा होने पर ही बाहर जाना चाहिए। गर्म हवा के कारण अस्थमी के मरीजों में खांसी और सांस में तकलीफ लेने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
अस्थमा की खतरनाक बीमारी के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए हर साल दो मई को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है। नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ हेल्थ के मुताबिक, अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जो फेफड़ों में वायुमार्ग को प्रभावित करती है। अगर किसी इंसान को अस्थमा है, उसके वायुमार्ग में सूजन भी हो सकती है। अस्थमा की स्थिती में जब आप सांस छोड़ते हैं तो इससे आपके वायुमार्ग से हवा का बहना मुश्किल हो जाता है।
हाई ह्यूमिडिटी
गर्मियों के मौसम में हवा में कई सारे प्रदूषक तत्व होते हैं, जिसके चलते अस्थमा मरीजों के लिए सांस लेना एक चुनौती बन सकती है। ऐसे में उन्हें अपनी चेस्ट में कसाव महसूस हो सकता है। इसलिए अस्थमा में इस चीज का खास ख्याल रखें।
हवा प्रदूषण
वायु प्रदूषण में लेना हर किसी के लिए खतरनाक हो सकता है। खासतौर पर अस्थमा के मरीज जब प्रदूषकों के संपर्क में आते हैं तो फेफड़े के फंक्शन प्रभावित हो सकते हैं। इससे अस्थमा अटैक आने का खतरा रहता है।
पोलन
गर्मी के मौसम में कई तरह की एलर्जी होने की भी संभावना रहती है। इसके कारण बुखार आ सकता है और अस्थमा बिगड़ने की संभावना रहती है।
कीड़ों का काटना
कीड़ों के काटने से भी एलर्जी रिएक्शन हो सकता है, जिससे अस्थमा के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं।
एक्सरसाइज
दवाईओं और सावधानियों की मदद से एक्सरसाइज करना अस्थमा के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। लेकिन गर्मी के मौसम में व्यायाम से अस्थमा के अटैक की संभावना भी बढ़ जाती है।
Note :- इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।