72 फीसदी भारतीय खुश होने पर अधिक स्नैक्स करना पसंद करते हैं – रिपोर्ट

Medical Mike Desk : दिल का रासता जिस तरह से पेट से होकर गुजरता है वैसे ही मूड को ठीक करने का रास्ता भी आपके पेट से होकर जाता है। यही वजह है कि जब लोग चिड़चिड़ा, सुस्त या बहुत ज्यादा स्ट्रेस्ड महसूस करते हैं तो अच्छा खाना खाकर अपने मूड को अपलिफ्ट करते हैं। वहीं हाल ही कि एक रिपोर्ट में भी इस बात पर मुहर लगी है। रिपोर्ट में ये पता चला है कि 72 प्रतिशत भारतीयों ने स्वीकार किया कि जब वे खुश होते हैं तो अधिक स्नैकिंग करते हैं, ये रिपोर्ट इस बात की गवाही देती है कि स्नैकिंग को मूड अपलिफ्टर के तौर पर माना जाता है। स्नैकिंग को अपने मूड से जोड़ने वालों में 70 प्रतिशत भारतीय स्नैक्स खाने के बाद संतुष्ट, खुश और उत्साहित महसूस करते हैं।

क्या कहती है अलग-अलग क्षेत्र की सर्वे रिपोर्ट

रिपोर्ट में जब अलग अलग क्षेत्रों की तुलना की गई तो पता चला कि पूर्वी भारत में अधिकतम 75 फीसदी लोग खुश होने पर अधिक स्नैक्स करते हैं। वहीं उत्तर, पश्चिम और दक्षिण भारत में सर्वे किया गया तो स्नैकिंग के मामले में सबके इमोशन लगभग एक जैसे ही निकले। उत्तर भारत में 72 प्रतिशत, पश्चिम में 67 प्रतिशत और दक्षिण में 74 प्रतिशत स्कोर किया। इस रिपोर्ट से ये साफ होता है कि लोग खुश होने पर जम कर स्नैकिंग करते हैं।

स्नैकिंग के मामले में पहले स्थान पर दिल्ली

शहरों में दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता के लोग सबसे ज्यादा खुश रहने पर अधिक स्नैक्स करते हैं। इस लिस्ट में 81 फीसदी के साथ दिल्ली सबसे ऊंचे स्थान पर है। इसके बाद चेन्नई और हैदराबाद में 77 फीसदी और कोलकाता में 75 फ़ीसदी लोग स्नैक्स को मूड अपलिफ्टर के तौर पर मानते हैं।मुंबई के लिए औसत 68 प्रतिशत अहमदाबाद के लोग 67 प्रतिशत। पुणे और बेंगलुरु में 66 प्रतिशत, लखनऊ में 62 प्रतिशत और जयपुर में 61 प्रतिशत लोग खुश होने पर स्नैक्स करते हैं। रिपोर्ट में जेंडर के हिसाब से भी मूड और स्नैक्स का कनेक्शन देखा गया है, जिससे पता चलता है कि 74 प्रतिशत महिलाएं और 70 प्रतिशत पुरुष खुश होने पर अधिक स्नैक्स करते हैं।

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ज्यादा स्नैक्स खाने के नुकसान

हालांकि हम में से ज्यादातर लोग आटा और मैदा से बनी चीजें मसलन समोसा, ब्रेड, बिस्कुट, भुजिया और पिच्चा खाना प्रेफर करते हैं। ये हाई कैलोरी डाइट है। इसके अलावा चाइनीस फूड्स भी लोगों की पहली पसंद होती है। इनमें ना तो फाइबर्स होते हैं और ना ही कोई फायदा होता है। कैलरी भी ज्यादा होती है जरूरत से ज्यादा ऐसा करना फिटनेस के मिशन को धक्का पहुंचा सकता है।

Note :- इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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