ज्यादा Vitamin D लेने से जा सकती है जान, शरीर में भर जाएंगे पत्थर, भारत में चाहिए सिर्फ इतना

Medical Mike Desk : विटामिन डी एक जरूरी पोषण है, जो हड्डियों और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। इसलिए सभी हेल्थ एक्सपर्ट इसकी कमी ना होने देने की सलाह देते हैं। अगर शरीर में इस विटामिन की कमी हो जाती है तो हड्डियां खोखली बनने लगती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी हो जाती है। लेकिन इस डर से लोग विटामिन डी को बहुत ज्यादा लेने लगते हैं और यह स्थिति भी जानलेवा हो सकती है। बता दें कि इस पोषक तत्व का सबसे बड़ा स्त्रोत धूप होता है, इसलिए जिन देशों में धूप कम निकलती है, वहां के लोगों में इसकी कमी ज्यादा होती है। लेकिन भारत में धूप की कोई कमी नहीं है, इसलिए यहां के लोगों को दूसरे देशों की नकल करने की जरूरत भी नहीं है।

ज्यादा विटामिन डी लेने से भी गल जाएंगी हड्डियां

जब कोई इंसान लंबे समय तक जरूरत से ज्यादा विटामिन डी लेता है तो उसके शरीर में विटामिन डी टॉक्सिटी हो जाती है। जिसके कारण बॉडी हड्डियों से कैल्शियम उतारने लगती है और यह खून में बढ़ने लगता है।

शरीर में भर जाएंगे छोटे-छोटे पत्थर

खून में कैल्शियम बढ़ने पर किडनी इसे पेशाब में बाहर निकालने लगती है और यूरिन में इसकी मात्रा बढ़ने पर हाइपरकैल्सीयूरिया हो जाता है। लेकिन शरीर में कैल्शियम की मात्रा इतनी ज्यादा हो जाती है कि गुर्दे पूरी तरह इसे बाहर नहीं निकाल पाते। जिसके बाद यह कैल्शियम छोटे-छोटे पत्थर बनकर किडनी स्टोन का रूप ले लेता है।

भारत में हर दिन चाहिए सिर्फ इतना Vitamin D

भारत के लोगों को बहुत ज्यादा विटामिन डी सप्लीमेंट लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां पर्याप्त धूप निकलती है। एनएफआई के 2011 के मुताबिक, एक भारतीय स्वस्थ वयस्क को प्रतिदिन 200 से 600 IU यानी पांच एमजी से 15 एमजी विटामिन डी की जरूरत होती है।

बच्चों और गर्भवती महिलाओं की जरूरत

छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का स्तर अलग होता है। जिसमें इस विटामिन की जरूरी मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है। इसका पता करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना उचित है।

ये फूड है विटामिन डी का बेस्ट सोर्स

अगर आप मांस-मच्छी खाते हैं तो आपको इस पोषक तत्व की कमी नहीं हो सकती है। क्योंकि, भारत की बांगड़ा मछली में पर्याप्त विटामिन डी होता है, जिसे मैकेरल फिश भी कहा जाता है। USDA के अनुसार, 100 ग्राम मैकेरल में 643 IU विटामिन डी होता है। बता दें कि यह मछली तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडीशा, गोवा और महाराष्ट्र से लगे समुद्र में आराम से मिल जाती है।

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खतरनाक स्तर पर पहुंचने के लक्षण

एनसीबीआई के मुताबिक, जब शरीर में विटामिन डी टॉक्सिटी हो जाती है तो आलस, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, भ्रम, जी मिचलाना, उल्टी, कब्ज, गुर्दे की पथरी, अचानक वजन घटना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसके कारण मरीज कोमा में भी जा सकता है और उसकी जान भी जा सकती है।

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