Medical Mike Desk : गर्भावस्था एक महिला के जीवन के सबसे खूबसूरत चरणों में से एक है, लेकिन यह एक ऐसा वक्त भी है जो कई उतार-चढ़ाव के साथ आ सकता है। इसलिए इस दौरान गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को लेकर बेहद सावधान रहने की जरूरत है। गर्भवती महिला को प्रभावित करने वाली कई चीजों में प्रीक्लेम्पसिया, एक गंभीर रक्तचाप की स्थिति है। प्रीक्लेम्पसिया वाली गर्भवती माताओं में उच्च रक्तचाप और उनके यूरिन में प्रोटीन के स्तर में वृद्धि होती है, जिसे प्रोटीनुरिया कहा जाता है। ये आमतौर पर गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद विकसित होता है और मां और भ्रूण दोनों के लिए खतरा पैदा करता है। ये उन लोगों के लिए ज्यादा खतरे की बात है जो पहली बार मां बन रही हैं।
प्रीक्लेम्पसिया होना कितना आम है?
दुनिया भर में लगभग 10 फीसदी महिलाओं को प्रेग्नेंसी में हाई बल्ड प्रेशर की समस्या होती है। इनमे से तीन से पांच फीसदी मामले प्रीक्लेमप्सिया के होते हैं। एक रिसर्च के अनुसार, भारत में 7.8 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में आइपरटेंशन के मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें से 5.4 फीसदी मामले प्रीक्लेमप्सिया के थे।
प्रीक्लेम्पसिया होने के लिए ये कारण होते हैं जिम्मेदार
एक्सपेक्टिंग मल्टीपल बेबी, प्रीक्लेम्पसिया का पारिवारिक इतिहास, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, या गुर्दे की बीमारी का इतिहास, मोटापा, ल्यूपस जैसी ऑटोइम्यून स्थितियां और हार्मोनल डिसऑर्डर।
प्रीक्लेम्पसिया होने पर ये लक्षण दिखाई देते हैं
धुंधली दृष्टि, दृष्टि में काले धब्बे, दाहिनी ओर पेट में दर्द, सिरदर्द, हाथों और चेहरे पर सूजन और सांस लेने में दिक्क्त।
क्यों होती है प्रीक्लेम्पसिया की समस्या
प्रीक्लेम्पसिया का सटीक कारण पता नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसका प्लेसेंटा के स्वास्थ्य से संबंध है।प्रीक्लेम्पसिया के दौरान प्लेसेंटा को रक्त की आपूर्ति कम हो सकती है, जो मां और भ्रूण दोनों के लिए समस्या पैदा कर सकती है। यह समय से पहले प्रसव का कारण भी बन सकता है, बदले में सांस की समस्याओं और जन्म के समय कम वजन जैसी स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है।
किन लोगों को प्रीक्लेम्पसिया होने की ज्यादा संभावना होती है
पहली गर्भावस्था के दौरान यह समस्या विकसित होने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। अगर गर्भवती महिला को पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर हो। प्रेग्नेंट महिला की मां या बहन को प्रीक्लेम्पसिया हुआ हो। जो महिलाएं मोटापे से ग्रस्त है या जिनका बीएमआई 30 से अधिक है। जिन महिलाओं को गर्भावस्था से पहले किडनी की समस्या रही हो। 20 वर्ष से कम और 40 वर्ष से अधिक उम्र की प्रेग्नेंट महिलाओं में यह खतरा अधिक रहता है।