Medical Mike Desk : अगर महिलाओं के यूट्रस एरिया यानी यूट्रस के साथ ही फेलोपियन ट्यूब, ओवरी इत्यादि अंगों में सिस्ट यानी गांठ हो जाती है। आमतौर पर ये गांठ प्रेग्नेंसी में दिक्कत करती है या फिर पीरियड्स को डिस्टर्ब करती है। इसके चलते पीरियड्स में कभी बहुत अधिक ब्लीडिंग, कभी कम ब्लीडिंग, कभी क्लोटिंग, कभी बहुत अधिक पेन तो कभी कई-कई दिन तक पीरियड्स होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
किसी भी महिला को रिप्रोडक्टिव सिस्टम यानी गर्भाश्य से जुड़े अंगों में एक बार में एक या एक से अधिक सिस्ट भी हो सकती हैं। इन सिस्ट को पीसीओएस और पीसीओडी कहा जाता है। अगर आप ऐसी किसी भी समस्या से जूझ रही हैं तो आपको सबसे पहले तो अपनी गायनेकॉलजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। पूरी जांच के बाद ही आपकी डॉक्टर आपको इन सिस्ट की सही स्थिति और इलाज के बारे में बता पाएंगी। यहां हम आपको जिन फूड्स के बारे में बता रहे हैं, इन्हें पीसीओएस होने की स्थिति में खाने की मनाही है।
PCOS में क्या नहीं खाना चाहिए?
आयुर्वेद के अनुसार PCOS की समस्या होने पर महिलाओं को खासतौर पर डेयरी प्रॉडक्ट्स का यूज कम करना चाहिए। इनमें भी दूध और दही का उपयोग तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए। पनीर और चीज इत्यादि सीमित मात्रा में खा सकती हैं। जबकि छाछ का सेवन भरपूर तरीके से करना चाहिए। देसी घी और छाछ से निकला ताजा मक्खन भी आप हर दिन खा सकती हैं क्योंकि ये शरीर की ओवर ऑल हेल्थ को इंप्रूव करने में मदद करते हैं।
PCOS में क्यों नहीं खाने चाहिए डेयरी प्रॉडक्ट्स?
आयुर्वेद में कहा गया है कि डेयरी प्रॉक्ट्स खासतौर पर दूध और दही शरीर में कफज प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं। मुख्य रूप से ये गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में कफ आवर्त कोष्ठ में वृद्धि करते हैं और कफ की बढ़ी हुई मात्रा सिस्ट संबंधी समस्याओं को बढ़ाती है, जिससे ये प्रेग्नेंसी में दिक्कत खड़ी करते हैं। वैसे तो आयुर्वेद में दूध को संपूर्ण फूड का स्थान मिला हुआ है लेकिन साथ ही यह भी बताया गया है कि किन स्थिति में दूध फायदे की जगह नुकसान पहुंचाता है। यही आयुर्वेद की सबसे अच्छी बात है कि ये खान-पान के आधार पर स्वस्थ रहने के उपाय देता है।
Note :- इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।