Medical Mike Desk : यदि आप हेल्दी डाइट से चिपके रहने की कोशिश कर रहे हैं, तो मछली एक अच्छा विकल्प हो सकता है। मछली में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, और सैचुरेटेड फैट कम होता है। इसके अलावा इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन डी और कई अन्य पोषक तत्वों पाए जाते हैं। हालांकि हम जो अब बताने जा रहे हैं उससे मछली खाने के शौकीन लोगों को झटका लग सकता है। अब मछलियां भी जहरीर हो रही हैं।
एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी और अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने जॉइंट स्टडी में पाया कि झीलों और नदियों का पानी काफी ज्यादा प्रदूषित हो चुका है, जिससे उसमें रहने वाली मछलियां अब जहरीली हो रही हैं। स्टडी में दावा किया गया कि फ्रेश वॉटर मछलियों में 278 गुना फॉरेवर केमिकल मिलने लगा है, जिससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
फॉरेवर केमिकल क्या है?
फॉरेवर केमिकल को पर-एंड-पॉलीफ्लूरोलकिल सब्सटेंस भी कहते हैं। यह वह केमिकल है जो आमतौर पर वॉटर-रेजिस्टेंट कपड़ों जैसे- छतरी, रेनकोट, मोबाइल कवर आदि में इस्तेमाल किया जाता है। इस केमिकल का सीधा असर हॉर्मोन्स और ग्रोथ पर पड़ता है, जिसकी वजह से थायराइड और बैड कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं हो जाती हैं। फॉरेवर केमिकल के कारण महिलाओं का मिसकैरेज हो जाता है या उनकी डिलीवरी समय से पहले हो जाती है, जिससे उनके बच्चों का शरीर और दिमाग ठीक से विकसित नहीं हो पाता। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने 2017 में PFOA को साफ तौर पर ह्यूमन कार्सिनोजन कहा, यानी जिससे कैंसर होने का खतरा रहता है।
मिला हजारों गुना केमिकल
अमेरिका के नदियों और झीलों में तीन साल तक चले शोध के बाद यह पता चला है कि जीव-जंतुओं में ये केमिकल 2,400 गुना ज्यादा मिलने लगा है। उदाहरण के लिए, अगर आप महीने में एक बार मछली खाते हैं तो समझ जाएं कि आप आप बैक्टीरिया और दूसरे जर्म्स से भरा पानी महीने भर पी रहे हैं। यह पैटर्न अमेरिका के एकाध नहीं बल्कि 48 राज्यों में मिला है।
Note :- इस लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।