Medical Mike Desk : आमतौर पर मरीज को डॉक्टर जो दवा लिखता है उस पर वह आंख मूंद कर भरोसा कर लेता है। कहा भी जाता है कि डॉक्टर एक भगवान का रूप होता है। वैसे हाल की एक रिसर्च में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। इसमें बताया गया है कि एस्पिरिन टैबलेट जो कि दुनिया में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में से एक है। दुनिया भर के डॉक्टर और हेल्थ प्रक्टिशनर दिल के दौरे, क्लॉट से संबंधित स्ट्रोक और अन्य संबंधित बीमारियों का जोखिम कम करने के लिए कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं वाले मरीजों को जो एस्पिरिन लेने की सलाह देते हैं। वह दवा गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग की स्थिति भी पैदा कर सकती है। साथ ही साथ इसके कम डोज से भी साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
पिछले कई अध्ययनों से यह भी पता चला है कि हेलिकोबैक्टर पाइलरी के कारण पेट में पेप्टिक अल्सर हो जाते हैं। यह बैक्टीरिया रोजाना एस्पिरिन लेने वाले लोगों के शरीर में पाया जाता है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस बैक्टीरिया के इंफेक्शन के कारण पेट में जख्म हो सकते हैं।
एस्पिरिन लेने पेट में हो सकती है ब्लीडिंग
दिल्ली के डॉ. ने बताया कि एस्पिरिन टैबलेट पेट में ब्लीडिंग का कारण बन सकती है, जिसे सबसे आमतौर पर मुख्य साइड इफेक्ट्स माना जाता है। जो डॉक्टर इस दवा को लिख रहे हैं उन्हें हमेशा इसके फायदे के अनुपात को देखते हुए प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि कम डोज भी पेट को नुकसान पहुंचा सकती है। जिससे अल्सर या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग हो सकती है।
हेलिकोबैक्टर पाइलरी इंफेक्शन क्या है?
डॉ. ने कहा कि एस्पिरिन की गोलियां लेने के अपने जोखिम हैं, लेकिन उचित सलाह के साथ डॉक्टर इसे हृदय रोगियों के लिए लिखते हैं। दिल की समस्या या स्ट्रोक वाले व्यक्ति के लिए एस्पिरिन दवा लेना अनिवार्य है, क्योंकि यह खून की चिपचिपाहट में मदद करती है। हेलिकोबैक्टर पाइलरी के बारे में डॉ ने विस्तार से बताया कि यह एक बैक्टीरिया है जो अल्सर या गैस्ट्रिक सूजन का कारण बन सकता है. जो पेट में ब्लीडिंग का बन बन सकता है।
पेट में ब्लीडिंग रोकने के उपाय
एस्पिरिन को खाली पेट नहीं लेने की सलाह दी जाती है और भोजन करने के बाद इसका सेवन करना चाहिए। इसके अलावा अगर डोज से ब्लीडिंग होती है तो मरीज को डॉक्टर के पास जाना चाहिए है और ट्रीटमेंट करानी चाहिए।