Medical Mike Desk : दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर के मामले हर साल बढ़ रहे हैं। भारत में भी प्रति वर्ष 10 से 12 लाख नए केस सामने आ रहे हैं। पहले 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर होता था, लेकिन अब इससे कम उम्र की महिलाएं भी इस कैंसर का शिकार हो रही हैं। अधिकतर मामलों में महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण समय पर नहीं पता चल पाते है। जिससे इसकी पहचान देरी से होती है और ऐसे में इलाज करना भी मुश्किल हो जाता है। कई मामलों में मरीज कीमोथेरेपी की मदद लेते हैं। ऐसे में जानते हैं कि कीमोथेरेपी का ब्रेस्ट कैंसर में क्या रोल है।
डॉक्टर बताते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े कई मिथक हैं। दरअसल, ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि है जो ब्रेस्ट टिश्यू से विकसित होती हैं। चूंकि इन कैंसर कोशिकाओं में तेजी से और अनियंत्रित वृद्धि होती है, समय पर इलाज न होने पर शरीर के किसी भी हिस्से में फैल सकती हैं। किसी भी अन्य कैंसर की तरह ब्रेस्ट कैंसर को भी 4 लेवल में बांटा गया है। लेवल I और II के लिए सर्जरी की सबसे अधिक सिफारिश की जाती है और लेवल 3 के लिए कीमोथेरेपी के बाद सर्जरी का विकल्प है, स्टेज 4 इलाज योग्य नहीं है, लेकिन अब बेहतर तकनीकों और नई दवाओं के आगमन के साथ रोगी जीवन की बेहतर गुणवत्ता के साथ लंबे समय तक जीवित रहते हैं।
कीमोथेरेपी दशकों से स्तन कैंसर के उपचार का एक अभिन्न अंग रही है, लेकिन जीनोमिक्स और नए अध्ययनों की मदद से अब हम हार्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर वाले कुछ मरीजो में कीमोथेरेपी को सुरक्षित रूप से छोड़ सकते हैं। हालांकि इसके लिए मरीज की स्थिति देखनी होती है और कई प्रकार के टेस्ट की जरूरत पड़ती है।
यह कई कारणों पर निर्भर करता है
कैंसर की स्टेज, हार्मोन रिसेप्टर स्थिति ईआर, पीआर और Her2Neu । ऐसे दो टेस्ट हैं जो हार्मोन रिसेप्टर स्तन कैंसर में कीमोथेरेपी की प्रतिक्रिया के बारे में बता सकते हैं। कैंसर होने का जोखिम दोबारा भी हो सकता है। इसको कम करने के लिए एंटी-एस्ट्रोजेन दवाओं का उपयोग किया जा रहा है। इन दवाओं में एरोमाटेज इनहिबिटर और टैमोक्सीफेन शामिल हैं।